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मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना

बिहार सरकार की किसानों को सौगात, अब किसान इन चीजों की खेती कर हो जाएंगे मालामाल

बिहार सरकार की किसानों को सौगात, अब किसान इन चीजों की खेती कर हो जाएंगे मालामाल

बिहार सरकार किसानों को एक बड़ी सौगात दे रही है जिसकी खूब चर्चा हो रही है। दरअसल बिहार सरकार का उद्यान विभाग मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना एवं राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत फल और फूलों के बगीचे लगाने के लिए किसानों को 40 से 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान कर रहा है, जिससे बिहार के किसानों के चेहरे पर खुशी झलक रही है। मौजूदा दौर में देश के कई राज्यों में किसानों के द्वारा मुख्य फसल की जगह पर तरह तरह के फल और फूलों की खेती की जा रही है।  खेती करने की मुख्य वजह फल और फूलों की घरेलू बाजार के साथ-साथ विश्व की बाजारों मे बढ़ती हुई मांग है।  किसानों को उनके द्वारा उगाए गए फूलों का उचित रेट भी मिल रहा है।  उचित मुनाफा होने के कारण किसान भी जोर–शोर से फल और फूलों की खेती कर रहे हैं।


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भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। यहां के अधिकतर लोग कृषि के कार्यक्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जो अपना भरण-पोषण अपने द्वारा उपजाए गए फसलों को बाजारों में बेचकर करते हैं। मुख्य फसलों की जगह पर फल फूलों की खेती करना आज के इस दौर में कृषि के क्षेत्र में एक प्रमुख विकल्प बनकर उभर रहा है। राज्य सरकार और भारत सरकार भी किसानों की आय में बढ़ोतरी और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तरह-तरह की स्कीम और नए-नए तकनीक के साथ खेती करने का प्रशिक्षण दे रही है। इसी कड़ी में बिहार सरकार ने भी किसानों को एक बहुत बड़ी सौगात दी है। फलों एवं फूलों की खेती करने के लिए बिहार के किसानों को उद्यान विभाग राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री मिशन योजनाओं 40 से 75 प्रतिशत का अनुदान दे रही है। सब्सिडी को प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। सरकार सरकार के द्वारा फल और फूलों की खेती करने पर इस तरह से अनुदान देना एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।

अभी सिर्फ इन जिले के किसानों को ही मिलेगा लाभ

एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट गवर्नमेंट ऑफ़ बिहार के ट्विटर आईडी पर पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से दी गई हुई है जिसमें ऑनलाइन आवेदन करने के बारे में भी बताया गया है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत आच्छादित जिलों की सूची भी दी गई है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत आवेदन करने वाले जिले पटना, नालंदा, रोहताश, गया, औरंगाबाद, मुजफ्फर पुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, मूंगेर, बेगूसराय, जमुई, खगड़िया, बांका और भागलपुर है। वहीं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाले जिले भोजपुर, बक्सर, कैमूर, जहानाबाद, अरवल, नावादा, सारण, सिवान, गोपालगंज, सीतामढी, शिवहर, सुपौल, मधेपुरा, लखीसराय और शेखपुरा है।

जानिए किस फल पर मिल रही है कितनी सब्सिडी

उद्यान विभाग, राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत चयनित जिलों के किसानों को ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी उपजाने के लिए 40 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। वहीं अनानास, फूल की खेती जैसे गेंदा और अन्य फूल, मसाले की खेती और सुगंधित पौधे की खेती (मेंथा) पर 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। बिहार सकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान रखा है। केन्द्र सरकार द्वारा नेशनल बीकीपिंग एंड हनी मिशन का भी गठन किया जा रहा है।


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सबसे ज्यादा यानी 75 फ़ीसदी की सब्सिडी पपीते की खेती पर दी जा रही है, जिससे कम लागत में किसान आसानी से उत्पादन कर सकता है। लोगों में इस फल की मांग भी काफी ज्यादा रहती है। अगर आप ड्रैगन फ्रूट्स, स्ट्रॉबेरी, पपीता, गेंदे की फूल की खेती और सुगंधित पौधे (मेंथा) की खेती करना चाहते है और आप सरकार द्वारा चयनित जिले के निवासी हैं, तो आप http://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करके योजनाओं का लाभ पा सकते हैं। अगर आप इन योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं और किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र पर जाकर बीज प्राप्त करने कि जानकारी और नए तकनीक के साथ खेती को और बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।


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भारत के अनेक राज्यों में फल फूल की खेती लोग तेजी से कर रहे हैं। मुख्य तौर पर लोग अब मुनाफा अर्जित करने के लिए ड्रैगन फ्रूट जैसे फलों की उपज करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। यह एक वानस्पतिक फल वाला पौधा है जो आम तौर पर मानसून के दौरान या उसके बाद में फलता है। इसे आमतौर पर रोपने के 18-24 महीने बाद यह फल देना शुरू कर देता है। प्रत्येक फल का वजन लगभग 300 से 1000 ग्राम तक होता है। एक पेड़ में आमतौर पर लगभग 15 से 25 किलो फल लगते हैं, ये फल बाजार में 300 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकते हैं, लेकिन सामान्य कृषि दर लगभग रु 125 से 200 प्रति किलो। अगर आप इसकी उपज करते हैं तो आप प्रति एकड़ 5-6 टन की औसत उपज पा सकते हैं।


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भले ही बिहार में बड़े उद्योग लग नहीं पा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके कृषि से जुड़े क्षेत्र में लगातार बेहतर कार्य हो रहे है। बिहार सरकार दूसरी हरित क्रांति लाने के प्रयास में जुट गयी है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भी बिहार के बारे कहा था की बिहार में दूसरी हरित क्रांति की पूरी संभावना है और जिस तरह से बिहार कृषि के क्षेत्र बढ़ रहा है, इससे अर्थव्यवस्था में काफी हद तक सुधार होगी। बिहार को कृषि में आगे बढ़ने और औद्योगीकरण की ओर बढ़ने के लिए एक बड़ी छलांग की जरूरत है।


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वर्तमान में, हमारे किसान देखते हैं कि पिछले सीजन में किसी विशेष उपज के लिए उन्हें क्या कीमत मिली थी। उदाहरण के लिए, यदि सरसों से उन्हें अच्छी कीमत मिलती है, तो हर कोई उसी की खेती करना पसंद करता है।  लेकिन जिस तरह से सरकार फल फूलों को उपजाने के लिए सब्सिडी दे रही है उससे किसानों का आत्मबल मजबूत हो रहा है और साथ ही बिहार में किसानों कि हालात में भी सुधार हो रहा हैं।
बिहार में मशरूम की खेती करने पर सरकार दे रही 90 फीसदी अनुदान

बिहार में मशरूम की खेती करने पर सरकार दे रही 90 फीसदी अनुदान

पटना। मशरूम यानी कुकुरमुत्ता (कवक - Mushroom) की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा एलान किया है। बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को मशरूम की खेती करने पर 90 फीसदी तक अनुदान देने की घोषणा की है। अभी तक बिहार में किसान परम्परागत खेती ही करते रहे हैं। लेकिन इस बार मशरूम की खेती की ओर किसानों का ध्यान आकर्षित करने के लिए सरकार ने एक अच्छी मुहिम शुरू की है। इस साल मशरूम की खेती पर 90 फीसदी तक अनुदान देकर सरकार मशरूम की खेती पर जोर दे रही है।

मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना से मिलेगा अनुदान

बिहार सरकार मशरूम की खेती करने वाले किसानों को 'मुख्यमंत्री बागवानी मिशन' के तहत 90 फीसदी तक अनुदान दे रही है। योजना में शामिल होने के लिए किसानों से आवेदन मांगे जा रहे हैं, किसानों में भी इस योजना को लेकर खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। ये भी पढ़े: मशरूम के इस मॉडल से खड़ा किया 50 लाख का व्यवसाय

खगरिया जिले में 500 किसान कर रहे हैं मशरूम की खेती

बिहार में अभी तक खगरिया जिले में तकरीबन 500 किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं। सरकार द्वारा मशरूम की खेती पर प्रोत्साहन राशि मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि मशरूम की खेती करने वाले किसानों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।

झोंपड़ी में मशरूम की खेती से किसान की आमदनी होगी दोगुनी

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत झोंपडी में मशरूम की खेती करने वाले किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। इस योजना के तहत किसानों को अलग से 50 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है। झोंपड़ी बनाने से लेकर मशरूम की खेती करने तक आने वाली लागत पर 50 फीसदी अनुदान देने का प्रावधान रखा गया है, इस कुल लागत का 50 प्रतिशत खर्च यानि 20 लाख रुपए की लागत में 10 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में राज्य सरकार वहन करेगी और शेष धनराशि किसान को लगानी होगी।

मशरूम पर अनुदान के लिए ऐसे करें आवेदन

मुख्यमंत्री बागवानी विकास मिशन के तहत मशरूम की खेती पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट http://horticulture.bihar.gov.in/ पर आवेदन कर सकते हैं। अगर किसान चाहें तो इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने नजदीकी जिले के उद्यान विभाग कार्यालय में जाकर सहायक निदेशक से भी संपर्क किया जा सकता है।
इस राज्य में बागवानी फसलों पर दी जा रही बंपर सब्सिड़ी, शीघ्र आवेदन करें

इस राज्य में बागवानी फसलों पर दी जा रही बंपर सब्सिड़ी, शीघ्र आवेदन करें

बिहार सरकार द्वारा राज्य में बागवानी फसलों के ऊपर भी अनुदान दिया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत लीची, कटहल, आम और अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को अनुदान दिया जा रहा है। बिहार राज्य के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। फिलहाल, उनको सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर नहीं रहना होगा। उनकी फसलों को समयानुसार जल मिलेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने किसानों के फायदे में सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानों को अच्छी-खासी अनुदान राशि देने की योजना बनाई है। सरकार का यह मानना है, कि राज्य में सूक्ष्म सिंचाई योजना को प्रोत्साहन देने से फसलों का उत्पादन बढ़ जाएगा। इससे किसान भाइयों को अधिक फायदा मिलेगा।

बिहार सरकार ने जल की बर्बादी को रोकने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना जारी की

दरअसल, पानी का एक- एक बूंद व्यर्थ न हो, इस मंसा से बिहार सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई योजना का आरंभ किया है। उनका मानना है, कि ट्यूबवेल से डायरेक्ट सिंचाई करने से जल का दोहन अधिक होता है। साथ ही, पौधों की जड़ों तक समुचित मात्रा में जल नहीं पहुंच पाता है। इससे उत्पादन भी प्रभावित होता है। वहीं, सिंचाई की यह विधि ज्यादा खर्चीली भी होती है। अब ऐसी स्थिति में यदि किसान भाई सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत प्लांट लगाकर पौधों की सिंचाई करते हैं, तो उनको अधिक लाभ होगा। यही कारण है, कि सरकार ने इस योजना के अंतर्गत किसानो को अच्छी-खासी अनुदान राशि देने की घोषणा की है। यदि किसान अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो अधिकारियों से संपर्क साध सकते हैं।

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ऑनलाइन आवेदन हेतु अंतिम तिथि

साथ ही, बिहार सरकार प्रदेश में बागवानी फसलों के ऊपर भी अनुदान प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत लीची, कटहल, आम और अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को अनुदान प्रदान किया जाएगा। यदि किसान भाई योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो http://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 जून है।

बिहार राज्य इन फसलों की पैदावार में प्रथम स्थान पर है

मुख्य बात यह है, कि बिहार सरकार ने बागवानी फसलों के रकबे में विस्तार करने के लिए इस योजना के जरिए सब्सिडी देने की योजना बनाई है। यदि किसान योजना एवं अनुदान के संदर्भ में ज्यादा जानकारी लेना चाहते हैं, तो आप जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। बतादें, कि बिहार राज्य बागवानी फसलों की खेती में अपनी अलग पहचान रखता है। लीची, मशरूम, मखाने और भिंडी की पैदावार में बिहार भारत भर में प्रथम स्थान पर आता है। अर्थात सबसे ज्यादा इन फसलों का उत्पादन यहीं पर किया जाता है।
अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 50 प्रतिशत अनुदान

अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 50 प्रतिशत अनुदान

बेगूसराय जनपद में किसान केला, नींबू, पपीता और आम की खेती काफी बड़े पैमाने पर करते हैं। परंतु, अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों की तादात आज भी बहुत कम है। बिहार राज्य में किसान दलहन, तिलहन, धान और गेहूं के साथ-साथ बागवानी फसलों की भी बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। दरभंगा, हाजीपुर, मुंगेर, मधुबनी, पटना, गया और नालंदा समेत तकरीबन समस्त जनपदों में किसान फल और सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। विशेष कर इन जनपदों में किसान सेब, आलू, भिंडी, लौकी, आम, अमरूद, केला और लीची की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। परंतु, वर्तमान में उद्यान विभाग द्वारा बेगूसराय जनपद में अमरूद का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए शानदार योजना तैयार की है। इस योजना के अंतर्गत अमरूद की खेती चालू करने वाले उत्पादकों को मोटा अनुदान दिया जाएगा।

केवल इतनी डिसमिल भूमि वाले किसान उठा पाएंगे लाभ

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत बेगूसराय जनपद में अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। मुख्य बात यह है, कि इस योजना के अंतर्गत जनपद में 5 हेक्टेयर भूमि पर अमरूद की खेती की जाएगी। जिन किसान भाइयों के पास न्यूनतम 25 डिसमिल भूमि है, वह अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को कृषि विभाग की आधिकारिक वेवसाइट पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा। यह भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

अमरुद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 40 प्रतिशत अनुदान

बतादें, कि बेगूसराय जनपद में किसान केला,नींबू, पपीता और आम की बड़े स्तर पर खेती करते हैं। लेकिन, जनपद में अमरूद की खेती करने वाले कृषकों की तादात आज भी जनपद में बेहद कम होती है। यही कारण है, कि कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत जनपद में अमरूद की खेती का क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी करने की योजना बनाई और किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। किसान रामचंद्र महतो ने कहा है, कि यदि सरकार अनुदान प्रदान करती है, तो वह अमरूद की खेती अवश्य करेंगे।

बेगूसराय में कितने अमरुद लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

साथ ही, जिला उद्यान पदाधिकारी राजीव रंजन ने कहा है, कि सरदार अमरूद एवं इलाहाबादी सफेदा जैसी प्रजातियों के पौधे कृषकों को अनुदान पर मुहैय्या कराए जाऐंगे। उनका कहना है, कि अमरूद के बाग में 3×3 के फासले पर एक पौधा लगाया जाता है। यदि किसान भाई एक हेक्टेयर भूमि में खेती करेंगे तो उनको 1111 अमरूद के पौधे लगाने होंगे। साथ ही, बेगूसराय जनपद में 5555 अमरूद के पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।